Free Website Hosting
Free Website Hosting

Tuesday, July 21, 2009

नागपाश से पितृ और सर्पदोष का नाश - पं. बाबूलाल जोशी

जन्मकुंडली के केंद्र में स्थित ग्रहों के कारण सर्प दोष, सप्तमेश के पाप कर्तरी दोष, पंचम भाव स्थित शनि की सप्तम भाव पर वक्र दृष्टि, सर्प अवज्ञा व पितृ दोष का शमन विवाह अवसर पर की जाने वाली नागपाश क्रिया से होता है। आधुनिकता की चकाचौंध में इस क्रिया का लोप हो रहा है। नागपाश एक सामान्य क्रिया है, लेकिन इसका असर सर्पमुख बंधन से भी हो जाता है।
मुहूर्त प्रकरण में नए घर के निर्माण, देवालय के आरंभ और जलाशय के निर्माण अवसर पर सूर्य राशि (संक्रांति) के आधार पर गृहारंभ राहु चक्र द्वारा सर्पमुख देखकर शुभारंभ के निर्देश हैं। इसी तरह विवाह अवसर पर सूर्य संक्रांति द्वारा निर्धारित दिशा से मंडप रोपण में चारों कोणों पर रखी जाने वाली चवरीया (कलश) पर क्रमश: ३,५,७ कलश भी निर्धारित कोण से स्थापित करें।
इन्हें विधिपूर्वक पूजते हुए मूंज की रस्सी (एक विशेष प्रकार की घास) से नाग पाश बनाकर उसी दिशा में कलश पर बांधें। विवाह अथवा विवाह के बाद उत्पन्न होने वाले दोष दूर करने का यह भी एक तरीका है।
राहु मुख (सर्प मुख) की जानकारी
वृश्चिक,धनु, मकर राहु मुख वायव्य कोण
कुंभ, मीन, मेष राहु मुख नैऋ त्य कोण
वृषभ, मिथुन, कर्क राहु मुख आग्नेय कोण
सिंह, कन्या, तुला राहु मुख ईशान कोण
नागपाश लगाने की विधि किसानों व पशुपालकों से सीखी जा सकती है। यह एक सामान्य विधि है, जिसमें गांठ सामान्य व्यक्ति के द्वारा सरलता से नहीं खोली नहीं जा सकती। ऊर्जा संचार के साथ नक्षत्रों के मंत्रों द्वारा इसे पुष्ट किया जाता है ताकि विवाह अवसर का गठबंधन सुरक्षित रह सके।