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Friday, August 21, 2009

संतान सुख के लिए बृहस्पति को मनाएं

पौराणिक कथाओं के अनुसार सृष्टि के जन्मदाता ब्रह्मा हैं, जबकि लाल किताब के अनुसार बृहस्पति को सभी ग्रहों का गुरु और ब्रह्मा (सृष्टिकर्ता) को प्रतीक माना गया है, इसलिए संतान सुख को लेकर जन्म कुंडली में बृहस्पति की स्थिति पर ध्यान देना जरूरी है।
यदि किसी जातक की जन्म कुंडली में बृहस्पति की स्थिति शुभ है और वह पहले, पांचवें या नौवें भाव में है तो जातक को संतान सुख अवश्य मिलता है। दूसरी ओर बृहस्पति के पक्के घरों यानी 2, 5, 9 और 12वें स्थान में यदि उसके शत्रुग्रह जैसे- राहु, शुक्र या बुध बैठे हों या बृहस्पति के साथ हों तो वे ग्रह शुभ प्रभाव पैदा करने वाली बृहस्पति की शक्ति क्षीण कर देते हैं। मंगल, चंद्र और सूर्य की युति से बृहस्पति का प्रभाव संतान के मामले में शुभ हो जाता है। यदि किसी की कुंडली के पांचवें भाव में बृहस्पति हो और बृहस्पतिवार को ही घर में पुत्र हो तो यह पुत्र जातक के भाग्य को जगा देता है। इसके विपरीत बृहस्पति के नौवें और इनके दुश्मन ग्रह-राहु, बुध या शुक्र के पांचवें घर में होने से संतान की ओर से माता-पिता को कष्ट मिलता है।
संतान के कारक ग्रह
लाल किताब के अनुसार केतु पुत्र तथा बुध कन्या संतान के कारक हैं। यदि संतान गर्भ में है तो उसकी सलामती जानने के लिए चंद्रमा की स्थिति देखना जरूरी है। यदि केतु की स्थिति उत्तम हो तो पुत्र प्राप्ति का योग बनता है और यदि बुध बलवान है तो पुत्री की प्राप्ति संभव है। जन्म कुंडली में केतु का आठवें या ग्यारहवें भाव में होना भी संतान सुख में बाधक होता है। आठवें भाव में केतु होने पर मंदिर या अपने कुलपुरोहित को सोना, केसर या हल्दी का दान देना शुभ है। किसी धर्मस्थान पर जाकर सफेद और काले रंग के कंबल दान करने से भी केतु का दुष्प्रभाव दूर होता है। वर्षफल के अनुसार शनि जब पांचवें घर में आ जाए तो जातक को दस साबुत बादाम धर्मस्थान पर चढ़ाना चाहिए और उनमें से पांच बादाम वापस लाकर घर में रखना चाहिए। यह क्रिया लगातार पांच दिनों तक करें। इन बादामों को वर्ष समाप्त होने पर जल के तेज प्रवाह में बहा दें। इसी प्रकार जन्म कुंडली या वर्ष कुंडली में राहु पांचवें घर में हो तो संतान की सलामती के लिए चांदी का ठोस हाथी घर में रखें।
गर्भस्थ शिशु की सुरक्षा
* गर्भवती स्त्री के बाजू पर लाल धागा बांधें और जन्म लेते ही यह धागा संतान को बांध दें। मां के बाजू पर नया लाल धागा बांधें। यह क्रिया ख्8 महीने तक दोहराएं।
* गणोश की रोज आराधना करें।
* बच्चे के जन्म से पहले या प्रसव के लिए अस्पताल जाते समय एक नए बर्तन में दूध और अन्य बर्तन में खांड भरवाकर गर्भवती स्त्री का हाथ छुआकर एक जगह रखवा दें। जब प्रसव हो जाए तब दूध से भरा बर्तन और खांड किसी धर्मस्थान को अर्पित कर दें। बर्तन वापस न लाएं। बर्तन जितना नया और उपयोगी होगा, वह उतना ही शुभ फलकारक होगा।
* यदि माता-पिता की कुंडली में मंगल छठे भाव में या शनि पांचवें या शुक्र और बुध दोनों पांचवें भाव में हों तो इन ग्रह स्थितियों में संतान के जन्म पर मीठे के बजाय नमक से बनी खाने की वस्तु बतौर शगुन बांटें।