Free Website Hosting
Free Website Hosting

Friday, March 19, 2010

जल भरे कुंड से लाएं घर में समृद्धि

eshan ईशान कोण को अच्छी जलधारा का केंद्र माना गया है। वास्तु में इसी कोने को पूजास्थल, उपासना स्थल और प्रधान इष्ट देव स्थापना का योग्य कोण भी माना जाता है, किंतु यहां जल स्थान का होना बहुत ही लाभकारी है।

परिवार में सुख और समृद्धि के लिए ईशान कोण स्थित जलस्रोत को हमेशा भरा हुआ ही रखें। उसके पानी का उपयोग भी करें तो बराबर उसमें पूर्ति करते जाएं। यह धनागम के स्रोतों को हमेशा खोले रखता है।

घर के ईशान कोण में जलस्रोत का होना बहुत शुभ है। आजकल इस कोण में बोरिंग करवाने का चलन है, किंतु वहां जलस्रोत या हौज का होना शास्त्र सम्मत है। यह शिव का स्थान है। इसी कारण इसे गंगोद्भव तुल्य माना जाता है।

वास्तु में इसी कोने को पूजा स्थल, उपासना स्थल और इष्ट देव स्थापना योग्य कोण भी माना जाता है, किंतु यहां जल स्थान का होना लाभकारी है। जिन घरों में इस स्थान पर जलस्रोत होता है, वह खुशियों का केंद्र होता है। वैसे तो जल-स्थान के लिए वरुण या पश्चिम दिशा भी अच्छी है, किंतु ईशान कोण अधिक लाभकारी माना गया है।

वास्तुग्रंथों के अतिरिक्त दकार्गल विद्या (भूमिगत जलस्रोत खोजने की कुंजी) में भी शिव के कोने या ईशान कोण को अच्छी जलधारा का केंद्र माना गया है। इस क्षेत्र की जल धारा को शंकरी कहा जाता है। यह प्राय: मीठी और अल्पदाब से जलापूर्ति में सहायक होती है। यदि ईशान के जल-स्रोत को बराबर भरा रखा जाए और उसके जलस्तर को बराबर बनाए रखा जाए तो समृद्धि आती है।

यदि नया घर बनाना हो तो सर्वप्रथम इस कोण में जलस्रोत बनाकर उसे भर दिया जाए और परिसर में गाय को बछड़े सहित लाकर कुछ दिन बांध दिया जाए तो कार्य बिना बाधा के संपन्न होता है। ‘मयमतं’ ग्रंथ में भूमि चयन के साथ ही वहां ‘सवत्सा गो’ बांधने का निर्देश है।

यदि इस जलस्रोत में चांदी की छोटी-सी मछली, शंख, मकर, लघु कलश, कल्पवृक्ष और चांदी का ही कूर्म बनाकर रखा जाए और पूजा के बाद जल भरा जाए तो इच्छित परिणाम मिलता है। यदि इसी दिशा में तुलसी क्यारा और बिल्व वृक्ष हो तो सोने पर सुहागा मानना चाहिए।


-डॉ. श्रीकृष्ण

No comments:

Post a Comment