बच्चे परिवार और राष्ट्र का भविष्य और उसका मुख्य आधार हैं। उन्हीं के कारण जीवन गुलजार होता है। वे भविष्य के राष्ट्र के निर्माता हैं। देश व विश्व की अमूल्य संपदा हैं। ग्रह हमारे जीवन व्यवहार से बहुत ज्यादा प्रभावित होते हैं। बच्चों के प्रति हमारे अच्छे एवं बुरे व्यवहार का प्रभाव भी हमारे ग्रहों और उनसे प्राप्त होने वाले परिणामों पर पड़ता है। ज्योतिषीय दृष्टि में बाल रक्षा दिवस का अपना विशिष्ट महत्व है।
काल पुरुष की कुंडली में पांचवां घर संतान का माना गया है। सूर्य आत्मा और पिता का कारक ग्रह है। बच्चे, जिन्हें आत्मज कहा जाता है, उनके जोखिम भरे श्रम करने से सूर्य ग्रह कुपित हो उठता है। अत: आत्मा की प्रसन्नता हेतु बालकों की सुरक्षा व विकास कर उनका संरक्षण करना चाहिए।
जब हम बच्चों पर अन्याय करते हैं तो हमारी आत्मा (सूर्य) पर बोझ पड़ता है और न्यायाधीश गुरु नाराज होते हैं। गुरु भाग्य का ग्रह है, इसलिए भाग्य खराब होता है। बच्चों से श्रम करवाने पर शनि, गुरु व सूर्य की क्रूरता भी झेलनी पड़ सकती है।
बच्चों से अनावश्यक कार्य करवाने से शनि, जो आध्यात्म के भी स्वामी हैं, वे दर-दर भटकाते हैं। बच्चों को कष्ट पहुंचाने से भगवान रुष्ट हो जाते हैं। बच्चों को संरक्षण व सहयोग देने से भगवान के साथ कुण्डली के कई भावों के ग्रह भी प्रसन्न होते हैं।
सूर्य जो आत्मा व पिता का कारक ग्रह है, गुरु जो संतान की इच्छा पूरी करता है, वह और शनि बच्चों के संरक्षण व सहयोग से अत्यंत प्रसन्न होते हैं।
बाल सुरक्षा दिवस के अवसर पर बच्चों की आर्थिक, शारीरिक व नैतिक मदद कर उनकी रक्षा में योगदान दें। आत्म तत्व सूर्य, संतान तत्व गुरु तथा इच्छापूर्ति कारक शनि प्रसन्न हों तो अपना व राष्ट्र का भविष्य उज्जवल बन सकेगा।
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