उत्तर भारत :
हरियाणा, पंजाब, उत्तर प्रदेश, मध्य प्रदेश और हिमाचल प्रदेश में इस दिन तिल और खिचड़ी खाने की परंपरा है। लोग सुबह पहले पवित्र सरोवरों में स्नान करते हैं और धर्म स्थलों पर जाते हैं। पंजाब में यह त्योहार माघी के नाम से मनाया जाता है। इससे एक दिन पहले लोहड़ी का त्योहार होता है, जब रेवड़ी, मूंगफली और भुने हुए मक्के के दाने विशेष रूप से खाए और बांटे जाते हैं।
दक्षिण भारत :
कर्नाटक : लोग रंगीन कपड़े पहनकर मित्रों और रिश्तेदारों के घर जाते हैं। गन्ने, तिल की मिठाइयां, सूखा नारियल, मूंगफलियां और भुने हुए चने एक-दूसरे को देते हैं। इस दिन गाय-बैलों के सींग धोते और रंगते हैं। उन्हें फूल मालाओं से सजाया जाता है। रात को गीत-संगीत होता है। एक जगह आग लगाकर, जानवरों को आग पर से कुदाया जाता है।
तमिलनाडु और आंध्र प्रदेश :
तेलुगू लोगों के लिए यह एक बड़ा पर्व है। वे इसे पेडा पंडुगा कहते हैं। यहां यह महोत्सव चार दिन चलता है। पहले दिन भोगी, दूसरे दिन संक्रांति, तीसरे दिन कणुमा और चौथे दिन मक्कणुमा कहलाता है।
पूर्व भारत :
पश्चिम बंगाल और बिहार में मकर संक्रांति को नदियों के तट पर स्नान के लिए श्रद्धालुओं की भीड़ जुटती है। कोलकाता में हुगली नदी के किनारे गंगासागर मेला लगता है। देशभर से श्रद्धालु यहां इस दिन स्नान के लिए पहुंचते हैं। इस दिन का स्नान मोक्षदायक माना जाता है।
गुजरात, राजस्थान में उड़ती हैं पतंगें
पश्चिम भारत : महाराष्ट्र :
इस त्योहार पर लोग आपस में मिलते हैं और एक-दूसरे को मीठे रंगीन अनाज के दाने और भुने हुए तिल देते हैं, साथ ही गाते हैं-तिल गुड़ घया, गुड़-गुड़ बोला। अर्थात हमारे बीच अब मित्रता और अच्छे विचार पनपें।
गुजरात :
हिंदू गृहिणियां इस दिन नए बर्तन खरीदती हैं और उनका इस्तेमाल करती हैं। आकाश पतंगों से भर जाता है।
राजस्थान :
इस दिन पुष्कर में बड़ा मेला लगता है। पतंगें उड़ाई जाती हैं। शेष परंपराएं उत्तर भारत से ही मिलती-जुलती हैं।
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