Free Website Hosting
Free Website Hosting

Friday, January 1, 2010

शनि से डरें नहीं

शनिदेव को मृत्युलोक का धर्मराज कहा जाता है। पृथ्वी पर होने वाले सत्कर्मो और दुष्कर्मो का लेखा-जोखा रखकर तत्काल दंडित करने के कारण लोग इनसे भयभीत रहते हैं। जन्मकुंडली में वृष और तुला लग्न वालों के लिए शनिदेव परम योगकारक होते हैं, जबकि मकर और कुंभ इनकी अपनी राशि है। तुला राशि पर उच्च और मेष राशि पर इन्हें नीच की संज्ञा प्राप्त है।

कर्क और सिंह वालों के लिए ये मारक होते हैं। मारक अथवा मारकेश का ज्योतिषीय अर्थ है - मरणतुल्य कष्ट देने वाला। अन्य ग्रह यदि मारकेश हैं तो वे अशुभ फल अवश्य देते हैं, किंतु शनि के साथ ऐसा नहीं है। पृथ्वीलोक के दंडाधिकारी होने के कारण शनिदेव अपने भाई यमदेव की ही तरह मर्यादा में बंधे हैं। इस कारण ये चाहे मारक हों या योगकारक, कर्मानुसार ही फल देते हैं। पुराणों में कहा गया है कि शनिदेव के कुप्रभावों से बचने के लिए असहाय लोगों की मदद करें, अभिवादनशील रहें और श्रद्धा-विश्वास के साथ दान-पुण्य करें।

शनि वायु तत्वप्रधान और पश्चिम दिशा के स्वामी हैं। ये आंधी-तूफान, महामारी, अग्निजनित दुर्घटनाओं तथा तमाम प्राकृतिक आपदाओं के स्वामी होते हैं। इनका पृथ्वी के नजदीक आना कुछ इसी तरह की आशंका पैदा करता है, किंतु ये वर्तमान में अग्नितत्व की राशि सिंह में चल रहे हैं, जो इनके पिता सूर्य की राशि है। इस कारण इनके प्रभाव में कोई क्रूरता या परिवर्तन नहीं आएगा। कतिपय ज्योतिषी अपने अध्ययन के आधार पर शनि का नाम लेकर लोगों को डरा रहे हैं। ये लोग विशेषत: सिंह राशि के लोगों को डरा रहे हैं, लेकिन यह सही नहीं है- स्थान हानिकरों जीवो स्थान वृद्धि करौ शनि।

इस सूत्र के अनुसार शनि जिस स्थान (सिंह) पर बैठते हैं, वहां की वृद्धि ही करते हैं। अत: सिंह राशि वालों को शनि से डरने की जरूरत नहीं है। अच्छे कर्म करते चलें। शनि देव के आशीर्वाद से कामयाबी आपके कदम चूमेगी। सिंह राशि ही नहीं, किसी भी राशि के जातक को शनिदेव का कोपभाजन नहीं बनना पड़ेगा।

No comments:

Post a Comment