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Saturday, November 21, 2009

दान का विधान

उपनिषदों में मकर संक्रांति को देवदान पर्व भी कहा गया है। इस दिन किए गए दान-पुण्य का फल हजारों गुना बढ़कर मिलता है। दान देने वाला पूर्वाभिमुख और लेने वाला उत्तराभिमुख रहना चाहिए। इससे दान देने वाले की आयु में वृद्धि होती है और दान ग्रहण करने वाले को भी यश मिलता है।
गरुड़ पुराण के अनुसार तिल की उत्पत्ति भगवान विष्णु के पसीने से मानी गई है, इसलिए इस संक्रांति पर तिल दान करने से अक्षय फल मिलता है। सभी दानों में अन्नदान से बढ़कर कोई दान नहीं है। शारीरिक कष्ट से मुक्ति के लिए रुईदार वस्त्र का दान करना चाहिए। दूध देने वाली या बछड़े सहित गाय का दान सर्वश्रेष्ठ कहा गया है। इस दिन निम्न वस्तुओं का दान कर सकते हैं-तुलादान, शैया दान, तिल, चारा, श्वेत वस्त्र, गर्भ वस्त्र, स्वर्ण, चांदी, अन्न, गाय, पशु आहार, लोहा, सप्तधान, कपास आदि।
राशि और ग्रहों के अनुसार दान योग्य वस्तुएं :—
मेष और वृश्चिक (मंगल ग्रह के लिए ) मसूर की दाल, मीठी रोटी, भूमिदान, मूंगा दोपहर में ब्रrाचारी को दान करें।
वृष और तुला (शुक्र ग्रह के लिए ) दूध-दही, चावल, चंदन, इत्र, रंगीन वस्त्र, शक्कर, सफेद गाय, डायमंड या ओपल को युवा स्त्री, एक आंख से काणो व्यक्ति को दान करें।
मिथुन और कन्या (बुध ग्रह के लिए) हरा मूंग, हरा चारा गाय को डालें। बकरी, वस्त्रों का दान करें। पन्ना, तुरमली, विद्यार्थी को दान करें।
धनु व मीन (गुरु ग्रह के लिए) चने की दाल, बेसन, केसर हल्दी, पाठ्य सामग्री, स्वर्ण, पुखराज, सुनैला, अश्व सुबह ब्राrाण को दान करें।
मकर और कुंभ (शनि ग्रह के लिए ) काले तिल, उड़द, कंबल, काले कपड़े, तेल, लोहा, काली गाय, भैंस, नीलम, आदि संध्या के समय वृद्धा, भिखारी को दान करें।
कर्क राशि (चंद्रमा ग्रह के लिए) चावल, दूध, शंख, घी, मोती को किसी वैश्य या स्त्री को दान करें।
सिंह (सूर्य ग्रह के लिए) गेहूं, गुड़, तांबा, तिल, स्वर्ण किसी क्षत्रिय को दान करें।
इसके अतिरिक्त राहु ग्रह के लिए नारियल, कोयला, कंबल, काले तिल को कोढ़ी या अपाहिज को दान करें।
केतु ग्रह के लिए खोटे सिक्के, कुत्ता, चितकबरी गाय को किसी गरीब को दान करना उचित है।

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